Monday, March 22, 2021

अब क़सूर किसका है? उस बच्ची का? उसकी मानसिकता का? उसके विद्यालय का? या उसकी संगत का?



उम्र तेरह होगी। कक्षा सातवीं में है, शिक्षा लेती है हमसे। इनकी क्या विचारधारा होगी और गर जो होगी भी तो उसके संस्थापक कौन? और ये बरसों की मेहनत है, कोई धारणाओं को अपने साथ लेकर पैदा नहीं होता। ईद के दिन की बात है कि हम मुबारकबाद देने लगे कि जवाब नकारात्मक था। और ये सिर्फ़ वो अकेली नहीं कह रही थी, उसके साथ की संगत चिल्ला-चिल्ला कर चीख़ रही थी। तेरह की उम्र की बच्ची एक समुदाय के लोगों के लिए नफ़रत लेकर बैठी है, साथ में उसका छोटा भाई भी था। हम वजह जान ना चाह रहे थे, वो “छी-छी” कर रही थी। फिर हम ख़ुद को उसकी मानसिकता के रचनाकार के समीप पाने लगे तो देखा तादाद लाखों में है, गहराई पर जाने पर यही तादाद दोगुनी, चौगुनी होती चली गई। घर और हमसे जुड़ा समाज हमारा दूसरा विद्यालय होता है, इसमें कोई दो राय नहीं। अब क़सूर किसका है? उस बच्ची का? उसकी मानसिकता का? उसके विद्यालय का? या उसकी संगत का? कौन ज़ोर दे रहा है ऐसी धारणाओं को पनपने के लिए? वो संगत या वो विद्यालय जहाँ से शिक्षा लेने के लिए वो कोसों दूर जाती है?

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08-07-2019
Rahul Khandelwal

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