उसका इतिहास, राजनीति, भूगोल, धर्म और समाज
उसके अपने
और नज़दीक के
दस मकानों तक सीमित है
जहां उसने
अपने और औरों के साथ
प्रेम, आदर और सहज भाव से
रहना सीखा है
इस उम्र में भी
वो अपने “इस छोटे-से देश” में
जिस किसी को जानता(ती) है
हर किसी के प्रति
ज़िम्मेदारी का भाव रखता है
वो अपने समर्पण को
मोल-भाव कर
तराज़ू में नहीं तोलता(ती)
व्यसकों की तरह
उसे मालूम नहीं था
कि उसके अनुसार परिभाषित देश को
उसमें रहने वाले
बेकसूर उसके अपनों को
युद्ध के दौरान
जाने या अनजाने में
तबाह किया जा सकता है
और जब वो असंख्य लाशों के बीच
अपनी मां, पिता, भाई, बहन और दादी के
ना होने का कारण पूछता(ती) है
तो जवाब में
थमा दिया जाता है
उसके नन्हें हाथों में
देश का इतिहास, राजनीति, भूगोल, धर्म और समाज
___________________
05-11-23
Rahul Khandelwal
Click on this link to listen my poem on YouTube.
Published in "KRITYA Poetry Journals." Click on this link and scroll down to the bottom.
Notes:
1. The poem is dedicated to all those innocent children of both sides who are dying and losing their loved ones in Israel-Palestine conflict.
2. The picture is taken from internet.
No comments:
Post a Comment