"सामाज के अलग-अलग वर्गों में तरह-तरह के इंसानों के व्यवहार और उनकी अवस्थाओं के पीछे छिपे संदर्भों को, सामाजिक पायदान में निचले स्थान पर आने वाला सामाजिक वर्ग, पहचानने और देखने में नाकामयाब रहा है या स्थापित मान्यताओं, ढांचों को और अधिक सुदृढ़ और इनसे जुड़े हुए अपने निजी हित को सुरक्षित बनाएं रखने में समाज के कुछ वर्ग हमेशा से उससे जुड़ी हुई विचारधाराओं को इस कदर और इस प्रकार प्रचारित एवं प्रसारित करते रहे है कि सभी को वो कृत्रिम ढांचे असल नज़र आने लगे, जिसके फलस्वरूप वो तथाकथित निचला वर्ग उन सभी संरचनाओं को पहचानने और देखने में नाकामयाब रहा और स्वीकार करता रहा वो सब, जो उसका अपना नहीं था?"
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05-04-2024
Rahul Khandelwal
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