Sunday, November 19, 2023

आपके द्वारा मानवीय विशेषताओं का वर्गीकरण ना करने का मतलब ये बिल्कुल नहीं कि समाज भी उनका वर्गीकरण नहीं करेगा। वो वर्गीकरण भी करेगा और तदानुसार आपके साथ व्यवहार भी करेगा। यहीं मानवीय व्यवहार का कटु सत्य है। इसे स्वीकारे और सतर्क रहें।


यह सब फिरसे सुनने के बाद उसे अधिक हैरानी नहीं हुई। (आख़िर वह भी बाकियों की तरह सबसे पहले एक इंसान है, तो कुछ क्षण थमकर उसने सोचा ज़रूर। लेकिन अपने प्रति लोगों का इस किस्म का व्यवहार देखकर, उसे ख़ास ताज्जुब नहीं हुआ, उसके लिए अब ये सब आम बन चुका था।) बस दुःख इस बात का है या यूं कहिए कि पछतावा है कि उसने फिरसे किसी पर विश्वास किया था। यहीं सब सोचते-सोचते, उसने आज फिरसे, अपनी आदत अनुसार एक सफ़ेद कागज़ और कलम का सहारा लिया (उठा लिया) और लिखने लगा-

“लोगों के सिवा भी सामाजिक परिवेश में बहुत कुछ निहित होता है जो उस बनते-बिगड़ते परिवेश में कारक का काम करता है। महत्वपूर्ण बात (विडंबना भी कह सकते है) यह है कि जिस किसी समाज में रहने वाले लोग तमाम तरह के अनुभव और अवलोकन के आधार पर तमाम प्रकार की धारणाओं, दृष्टिकोणों की व्याख्या कर, उन्हें जन्म देते है; बाद में वहीं, उसी समाज में रहने वाले लोग ख़ुद भी इन सबसे इस क़दर प्रभावित हो जाते है कि अपने ही द्वारा किए गए सरलीकरण को अंतिम सत्य मानने के लिए बाध्य हो जाते है और ये भूल जाते है कि ये सब कृत्रिम है। सरलीकरण का आधार बहुसंख्यक ज़रूर होता है, लेकिन उसी को अंतिम सच मान लेना मूर्खता करने के समान है क्योंकि उसके आधार में सब कुछ या हर कोई शामिल नहीं होता।"

यही सब को लिखते-लिखते, उसे, अतीत में बीती उन घटनाओं ने घेर लिया जो उसके लेखन को बाकी लेखकों की तरह आधार प्रदान करती है। उसने गौर से ध्यान दिया तो बात और भी स्पष्ट होती चली गई, जो कुछ इस प्रकार थी और वो फिरसे सोचने लगा-

यह सब उसके लिए प्राकृतिक प्रक्रिया है कि जब वो किसी नए पड़ाव का हिस्सा बनता है, तो नए लोगों से भी मिलना होता है, ये ज़ाहिर-सी बात है। और उसी प्रक्रिया में समय गुज़रने के साथ, वो एक-दूसरे से परिचित होकर परत दर परत खुलना शुरू कर देता है। अपनी विशेषताओं से संबंधित जानकारियां साझा करते हुए कुछ लोग उन्हें अपनी “ताक़त और कमज़ोरी” के वर्गीकरण में बांटकर नहीं बताते या अगर अनजाने में बता भी देते है तो उन्हें यह उम्मीद नहीं होती कि इसका फ़ायदा भी उठाया जा सकता है। क्योंकि विशेषताओं का वर्गीकरण अगर आप नहीं करते है (या अगर अनजाने में कर भी देते है), तो समाज में रहने वाले लोग (ख़ासतौर से वे लोग, जो जानकारियां हासिल करते हुए, आपसे, उन्हें किसी दूसरे के साथ ना साझा करने का वायदा भी करते है) उनका वर्गीकरण जानबूझकर करते है और तदानुसार आपके साथ व्यवहार भी करते है। मनुष्य व्यवहार का एक कटु सत्य यह भी है। इसे स्वीकारे और सतर्क रहें।

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19-11-2023

Rahul Khandelwal


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