निजि सम्पत्ति का हिस्सा बने रहने दो
अपने अतीत के अवशेषों को
मिल्कियत रहे इनकी सिर्फ़ तुम तक
मत होने दो तबाह इन्हें
कि नींव में की गई तब्दीली मकान को ढ़हा सकती है
जैसे नहीं बच पाते पेड़ के पत्ते हरे, जड़ से विच्छेद होने के बाद
"तब्दील न हो जाए स्मृति विस्मृति में"-
चिल्लाता हुआ दौड़ा चला जा रहा है अतीत
अमानवीय होती गई मनुष्य की सभ्यताओं के बीच
कि इसके पीछे कारण भी उसकी गुहार भरी चीख को अनसुना करना है
नज़र अंदाज़ करना तुम्हारे 'मैं' को भीतर से खोखला कर देगा
यह मृत्यु नहीं, खामोश हत्या होगी
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01.09.2025
Rahul Khandelwal
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