Monday, October 23, 2023

सहज और सरल होने के लिए जटिलताओं और विरोधाभासों से होकर गुज़रना पड़ता है।

 


जितनी दफ़ा देखता हूं, वो अकेला ही कहीं दूर खड़ा हुआ नज़र आता है। वो कई रूपों में, अलग-अलग नाम से, समय के अलग-अलग अंतराल (पड़ाव) पर मौजूद है, परंतु उसके (उनके) जीवन का निष्कर्ष किसी दूसरे से अधिक भिन्न नहीं। जीवन से जुड़ी तमाम प्रकार की एक जैसी-सी पीड़ाओं, समस्याओं, जटिलताओं और विरोधाभासों से गुज़रकर आदमी एक जैसे-से निष्कर्ष तक ही पहुंचता है जिसके मूल रूप में अधिक अंतर नहीं होता।

जब कभी मैं उसके मानसिक रूप और विचारों को अन्य किसी माध्यम से समझने का प्रयास करता हूं, तो वो दूर से मुझे कई प्रकार की उलझनों में उलझा हुआ प्रतीत होता है कि मैं सोचने पर विवश हो जाता हूं कि इस व्यक्ति ने अपने द्वारा खोजे गए सत्य को पाने के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना किया होगा और ये व्यक्ति यहां से देखने पर कितना जटिल-सा दिखाई पड़ता है। जैसे-जैसे मैं उसके जीवन के अंतिम पड़ाव, उसके निष्कर्ष और उसकी ओर कदम बढ़ाता हूं, वैसे-वैसे मैं ख़ुद ही के ऊपर से अपने द्वारा ढ़की हुई पूर्वाग्रहों और पूर्व धारणाओं की चादर को उतारता चला जाता हूं। नज़दीक से, ये अलग-अलग रूपों वाले व्यक्ति, जिनके सफ़र का अंत अलग–अलग राहों से गुज़रने के बाद भी एक ही सी मंज़िल पर आकर समाप्त हुआ, कितने सहज और सरल से दिखाई पड़ते अथवा प्रतीत होते है। ये मुझे इनसे मिलने के बाद मालूम पड़ा।

सहज और सरल होने के लिए जटिलताओं और विरोधाभासों से होकर गुज़रना पड़ता है।

[ तस्वीर और लेखन का प्रत्यक्ष रूप में (आपस में) कोई संबंध नहीं, लेख का अधिक संबंध उन महान व्यक्तियों से है जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष, तपस्या और अपने निजी अनुभवों के आधार पर मानव सभ्यता की दार्शनिक विचारों की श्रृंखला में अपना योगदान दिया और सत्य के अर्थ को समझाने का प्रयास किया। ]

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10-05-23

Rahul Khandelwal

#Akshar_byRahul


Note: The picture is taken by me.

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