विभिन्नताओं से घिरे माहौल है,
कुछ को रौशन तहख़ानों ने कैद किया,
कुछ अंधकार को तरस गए।।
हर एक परिस्थिति हर एक व्यक्ति के लिए एक सी नहीं होती, विकल्पों के प्रति हमारा आकर्षण और तदनुसार हमारा चुनाव आगे की राह को तय करता है। हमारा ये सोचना कहां तक उचित है कि हम एक ही समय में अंधकार और रोशनी का चुनाव कर, अपने संकल्प को पूरा कर सकते है? क्या हम ख़ुद को उस एहसास से अवगत कराने में सक्षम है कि जिन कार्यों का औचित्य हम सिद्ध करने की कोशिश करते है, वो पूरे तरीके से न्यायोचित है भी या नहीं?
विचार कीजिए।
___________________
21-10-23
Rahul Khandelwal
#Akshar_byRahul
No comments:
Post a Comment