द्रोणाचार्य ने अर्जुन से कहा था कि "लगता है तुम मेरे पास कुछ नहीं छोड़ोगे"। मैं समझता हूं (ख़ासतौर से अपने लिए) कि विद्यार्थी को शिक्षक की ज़रूरत समय–समय पर पड़ती ही रहती है और शायद वो उनसे सब कुछ ले भी नहीं पाता।
खिड़की के इस पार इनसे ख़ूब सीखता हूं और हमेशा सीखना भी चाहता हूं। अच्छे शिक्षक की मौजूदगी हमें उन तमाम क़िस्सों और सवालों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है जिन्हें हम उन चारदीवारी में रहकर सुन आते है और वापस आने के बाद उन सवालों के जवाब खोजते है (ये कला भी हर किसी में नहीं होती कि शिक्षक के द्वारा पढ़ाए जाने पर विद्यार्थी मजबूर हो सके नए–नए सवालों के बारे में सोचने के लिए)। और वो सवाल भी बेबुनियाद नहीं होते, उनका अपना महत्व होता है। आपके सोचने और लगातार नए–नए प्रश्नों के जन्म लेने के पीछे के तमाम कारकों में सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है, एक अच्छे शिक्षक का मौजूद होना और उनका आपके साथ हमेशा खड़े रहना।
#DedicatedToMyTeacher
___________________
Rahul Khandelwal
#akshar_byrahul
No comments:
Post a Comment