"आप स्मृतियों को लांघ कर कोसों दूर निकल आते है, एक लंबा सफ़र तय करने पर भी स्मृतियों के कुछ अवशेष आपकी परछाई बनकर आपका पीछा कभी नहीं छोड़ते, अंतिम साँस तक भी नहीं।"
.
"टूटते हुए मानवीय संबंध और कुछ अनुभव इंसान के जीवन से ताउम्र के लिए उसका एक हिस्सा छीन लेने की क्षमता रखते है। वो हिस्सा हमेशा के लिए मृत हो जाता है, किसी दूसरे हिस्से से आप उसकी तृप्ति कभी नहीं कर सकते, चाह कर भी नहीं।"
.
"गुज़रे हुए अतीत की छांप और जड़े इतनी गहरी होती है कि वो गुज़र रहे (मौजूदा) समय में आपकी बिना इजाज़त लिए कभी भी दस्तक देती है, आपके मन और मस्तिष्क में प्रवेश करती है और आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी बीतती नहीं। सिवाए इसके कि आप बिना किसी दूसरे विकल्प के, बेबस और मजबूर होकर उन अनुभूतियों को महसूस करने के लिए सिर्फ़ बाध्य हो सकते है, और कुछ नहीं।"
.
"इंसान की स्मृतियाँ उसकी मर्ज़ी की मोहताज नहीं होती। उनके समक्ष वो (व्यक्ति) सिर्फ़ एक निर्जीव पुतले के समान है, उस से अधिक और कुछ भी नहीं।"
.
"स्मृतियाँ,
बारिश के बाद मिट्टी में जन्म लेने वाली अवांछित जड़ें जैसी होती है जिसके ना बीज बोयें जाते है, ना उनमें पानी दिया जाता है और ना खाद डाली जाती है।"
___________________
07-06-2023
Rahul Khandelwal
#akshar_byrahul

No comments:
Post a Comment