Sunday, March 14, 2021

लिखना हमें हमारे होने का एहसास कराता है।




लिखना हमें हमारे होने का एहसास कराता है।


जैसे बारिश की बूँदे मिट्टी को उसकी सौंधी ख़ुशबू का एहसास कराती है,


या जैसे उन ऊँचे क़द वाले पेड़ों को उनकी विशिष्टता का एहसास शाम के वक़्त उस पर लौट आने के बाद वो बगुले कराते है,


या जैसे सूरज की किरणें बूँदों को तेज़ धूप और मेंह के वक़्त उनमें छिपे सात रंगो का एहसास कराती हैं,


कुछ वैसी ही अनुभूति काग़ज़-कलम कराते है।


___________________

14-03-2020

Rahul Khandelwal

No comments:

Post a Comment

Impalpable

I wish I could write the history of the inner lives of humans’ conditions— hidden motivations and deep-seated intentions. Life appears outsi...