मैं दरख्वास्त करता हूँ उनकी दोस्त और ऐसे लोगों से कि वो अपने आपको अपने मज़हब का हिस्सा बताने पर शर्म महसूस न करे। क्यूँकि अगर उनकी क़ौम के कुछ लोगों द्वारा किए गए हमले करना जुर्म है तो अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची के साथ हुआ शर्मनाक हादसा भी जुर्म है और मुंबई में पायल तड़वी को उनकी जाति के आधार पर तीन वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा इस क़दर प्रताड़ित करना कि वो मजबूर हो गई ख़ुदकुशी करने पर, यह भी जुर्म है। अब किस क़ौम को दोषी ठहराया जाए? क्या इन हादसों के लिए अब आप और हम शर्म महसूस करने लगे क्यूँकि जुर्म करने वाला आपका और हमारे मज़हब से आता है? ऐसी धारणाओं का पनपना सिर्फ़ और सिर्फ़ हमें नफ़रत की ओर ले जाएगा और कहीं नहीं। अपराध के ताल्लुकात किस धर्म से है? फ़ैसला आप करे।
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Rahul Khandelwal
25-07-2020
👍
ReplyDeleteThank you Nishant.
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