हे संचालक! दृष्टि दें और ले चल।
कृत्रिमताओं से सत्यता की ओर।।
बाहरी-अप्राकृतिक लोक से,
आंतरिक दुनिया की ओर।
इस कदर,
कि मुलाकात हो सकें–
सत्य से, स्वत्व से;
ब्रह्मन् से और आत्मन् से।।
और हो सकें,
भीतरी दुनिया की मुलाकात भी,
प्रकृति से,
और उसके परे की दुनिया से।।
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23-04-2024
Rahul Khandelwal
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