हंस कथा मासिक के मार्च अंक में प्रकाशित मधु कांकरिया जी की कहानी "जगह खाली है" को पढ़ा आज। कहानी को कहने और लिखने के जिस अंदाज़ को आप अख़्तियार करती है, ऐसा लगता है मानो इंसान ख़ुद ही ख़ुद से संवाद करता चला जा रहा है। कई जगहों पर ऐसे वाक्य पढ़ने को मिलते है जो मानवीय व्यवहार से जुड़े दर्शन और सच्चाई को आपके सामने लाकर रख देते है। कुछ घटनाओं के चलते जिनका प्रत्यक्ष रूप से कई बार हमारा कोई संबंध भी नहीं होता, उनमें फंसकर इंसान अनिच्छापूर्वक अपनी अवस्था को छोड़ दूसरी अवस्थाओं में प्रवेश करने पर मजबूर हो जाता है, तो मालूम पड़ता है कि ज़िंदगी का कितना थोड़ा भाग उसने अभी देखा है और उन तमाम दूसरी अवस्थाओं में दाख़िल होने के बाद वहां मौजूद समस्याओं और भेदभाव को देख वो ख़ुद को कितना असहाय महसूस करता है, इसके बारे में भी यह कहानी पढ़कर पता चलता है।
सत्ताधीशों द्वारा बनाए गए नियमों और कानूनों का दुरुपयोग कभी-कभी इंसान के मस्तिष्क की सोच और संभावनाओं से दूर निवास कर रहे एक प्रकार की साज़िश का रूप ग्रहण कर उसके खिलाफ किया जा सकता है, उनकी कहानी पढ़कर यह भी मालूम पड़ता है।
इंसान की स्मृतियां कभी उसका साथ नहीं छोड़ती है। आप स्मृतियों को लांघ कर कोसों दूर निकल आते है, एक लंबा सफ़र तय करने पर भी स्मृतियों के कुछ अवशेष आपकी परछाई बनकर आपका पीछा कभी नहीं छोड़ते, अंतिम सांस तक भी नहीं। इंसान के लिए गुज़रे हुए अतीत में कुछ घटनाओं की छांप और जड़े इतनी गहरी होती है कि वो गुज़र रहे (मौजूदा) समय में आपकी बिना इजाज़त लिए कभी-भी आपके वर्तमान के दरवाज़े पर दस्तक देती है, आपके मन और मस्तिष्क में प्रवेश करती है और आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी बीतती नहीं। सिवाए इसके कि आप बिना किसी दूसरे विकल्प के, बेबस और मजबूर होकर उन अनुभूतियों को महसूस करने के लिए सिर्फ़ बाध्य हो सकते है, और कुछ नहीं। मुझे लगता है कि स्मृतियाँ, बारिश के बाद मिट्टी में जन्म लेने वाली अवांछित जड़ें जैसी होती है जिसके ना बीज बोयें जाते है, ना उनमें पानी दिया जाता है और ना खाद डाली जाती है। अतीत गुज़र जाता है लेकिन कुछ अधूरी रह गई ख्वाइशें, अनकिया को करने की इच्छाएं, इंसान को उसका शेष जीवन त्यागने की इजाज़त नहीं देती। लेकिन सवाल ये आ जाता है कि क्या हर किसी को यह मौका मिल पाता है? कहानी पढ़कर यह सब के बारे में भी पता लगता है।
आपने मनुष्य व्यवहार की अलग-अलग परतों को उतार, नीचे उसके भीतर, निवास कर रहे अलग-अलग मनुष्यों को दिखाने का प्रयास किया है जो प्रेम, सुख, दुःख, पीड़ा, पछतावा, शैतान से भरे ख्यालों और इन सब उलझनों को सुलझाने की जद्दोजहद में लगा रहता है।
शुक्रिया ये कहानी लिखने के लिए।
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14-03-2024
Rahul Khandelwal

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