मैं नहीं चाहता इतिहास मिटा दिया जाएं
मनुष्यों के हिस्सों की कई असलियत दफ़न है वहां
मनुष्यता के तत्व है वे— निश्छल और पाक
बनती है जिनसे परिभाषा “मैं” की
भेदभावपूर्ण व्यवस्थाओं की पक्षधरता अंतर्निहित नहीं है पहले वाक्य में
मैं अन्वेषी हूँ सिर्फ़ सत्य की खोज का
व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों की समझ का
कि सुलझ जाएं सभी गुत्थियां चेतना की निर्मिती की
यात्रा पर हूँ बस इसी अन्वेषण की
राह दिखला!
गर जो मिट गया इतिहास
टूट जाएगा न्याय-अन्याय का तराज़ू
नहीं बचेगा शेष अंतर सत्य और असत्य के बीच
कई सदियां और पीढ़ियां लगी है जिसके निर्माण में
महीन धागा होता है दोनों के बीच कई बार
कई बार स्पष्ट रेखाएँ
महीन धागे को धूमिल मत होने दो
गुहार! गुहार! गुहार!
मैं नहीं चाहता इतिहास मिटा दिया जाएं
बिना समय की परवाह कर रख ख्याल सीमित वर्गों के हितों का
रौशनियां निरंतर प्रयासरत है
कि मिट जाएं मूलभूत सवाल इंसानों के बीच से
जिन्हें कभी नहीं पूछा जाता
कभी भी नहीं— चोम्स्की ने कहा था
सवाल इंसानों द्वारा चढ़ाई गई परतों को हटाते है
आधार हैं जो रौशनी से ढकी व्यवस्थाओं का
अतीत में दर्ज है जिसकी बनने की प्रक्रियाएं
तलाशिए अंधेरा! खोजिए ख़ुद को! ढूंढिए “मैं” को!
सैकड़ों सवाल निवास करते है वहां
धूल साफ होती है जवाब से
जवाब मिलने की इकलौती शर्त है सवाल उठाना
इसीलिए मैं नहीं चाहता इतिहास मिटा दिया जाएं
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06.08.2025
Rahul Khandelwal
Ati sundar
ReplyDeleteThank you so much Didi.
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