आम दैनिक चर्चाओं में, परिवार में किया गया व्यवहार, सामाजिक और व्यावहारिक जीवन से जुड़े मुद्दे और भी अन्य स्थान (स्पेस) में जहाँ कई प्रकार (छोटे से बड़े) के भेदभाव आँखों के सामने से हो कर के गुज़रते है। जब आप अपने दैनिक जीवन में लोगों से बात करते है तो कभी-कभी अपनी बात को बड़ा रखते समय एक अन्य विचार स्वतः आपको सचेत करने लगता है कि आपके द्वारा किया जा रहा बर्ताव आपके समक्ष खड़े व्यक्ति के प्रति भेदभाव को दर्शा रहा है और कई अवसरों पर आपको बाद में जान पड़ता है कि ऐसा करने के पीछे कई कारणों में से एक कारण यह था कि आपने उस व्यक्ति को अनजाने में या जानबूझकर (क्यूँकि समाज के द्वारा स्थापित रूधिबद्ध व्यवस्थाओं को मानसिक रूप से आपका शरीर भी स्वीकार कर चुका है) अलग-अलग आधार बना कर वर्गीकृत किया है और आपका व्यवहार भी उसी वर्गीकरण में (जिसका जन्म हज़ारों वर्ष पूर्व हुआ) आने वाले लोगों के लिए बदलता रहता है। पुराने मानदंड, मूल्य, सामाजिक रीति-रिवाज और कर्मकांड लोगों के मन में इतनी गहराई से समाए हुए हैं कि वे आसानी से उनसे छुटकारा नहीं पा सकते हैं। दुर्भाग्य से ये सब व्यक्ति और देश के विकास को रोकते हैं।
इतिहासकार राम शरण शर्मा अपनी पुस्तक “India’s Ancient Past” में लिखते है- “प्राचीन अतीत का अध्ययन हमें कई प्रकार की पूर्वाग्रहों की जड़ों की गहराई से जांच करने और कारणों की खोज करने में मदद करता है। इसलिए प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन न केवल उन लोगों के लिए प्रासंगिक है जो अतीत की वास्तविक प्रकृति को समझना चाहते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी प्रासंगिक हैं जो एक व्यक्ति और राष्ट्र के विकास में बाधा डालने वाली बाधाओं की प्रकृति को भी समझना चाहते हैं।”
किताबें हमें बहुत कुछ सिखाती है। उन्हें लगातार पढ़ते रहिए।
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17-12-2021
Rahul Khandelwal
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