Thursday, May 30, 2024

तुम मत देना। तुम “मत देना”।।


वे मुद्दे पर बात नहीं करेंगे,

मुद्दों से भटकाएंगे,

तुम मत भटकना।


वे बेबुनियाद सवालों की गुत्थी में उलझाएंगे,

तुम शिक्षा, स्वास्थ और रोज़गार जैसे

इन गंभीर सवालों पर,

डंटे रहना।


वो बात-बात में ध्रुवीकरण करने का प्रयास करेंगे,

एक कौम के हितों का,

दूसरे कौम के होने से,

खो जाने का डर दिखलाएंगे,

तुम मत डरना।


वे असल समस्याएं छिपाकर,

धर्म की सुरक्षा का दावा कर एहसान जताएंगे,

तुम वो एहसान मत लेना।


इतिहास गवाह है-

महान से महान शख्सियत के उत्थान और पतन का,

मानो ये भी प्रकृति का ही कोई नियम हो।


उनका भी पतन होगा एक दिन,

वे एक बार फिर उठ खड़े होने के लिए,

तुम्हें फिर से गुमराह कर तुम्हारा सहारा मांगेंगे,

तुम मत देना।

तुम “मत देना”।।

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30-05-2024

Rahul Khandelwal


Note: The picture is taken from internet.


Tuesday, May 28, 2024

कृत्रिमताओं को ढोता असहाय मनुष्य।


कृत्रिमताओं की ऊन से बुनी चादरों ने,

प्राकृतिक सत्य को पूरे तरीके से ढक दिया है।


हम असल को देखना नहीं चाहते कयोंकि,

सत्य पर ही ढकी रहें चादरें, हित इंसान का अब इसी में है।


हित-अहित के तराज़ू ने अब स्थान ले लिया है,

सच और झूठ के तराज़ू का,

अब तोलता है इंसान इसी में अपने कर्मों के हिसाब को।


सत्य-असत्य के ज्ञान की अब किसी को परवाह नहीं,

निर्णय का आधार, अब बचा है मनुष्य का निजी स्वार्थ,

हित और अहित के स्वरूप में।


कृत्रिमताओं को बनाएं रखने में मनुष्य का हित छिपा है,

बिखर जाएगा उसका नकली महल सत्य की तलाश से।।

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28-05-2024

Rahul Khandelwal 

Saturday, May 11, 2024

अतीत से जुड़े एक-से अनुभव और एक-सी कहानियों में, अनायास मुलाकातों को रिश्तों में तब्दील कर देने की क्षमता होती है।

 


प्रेमचंद ने कहा है कि "विचार" रिश्तों की उम्र का आधार होते है। मुझे लगता है दो इंसानों के जीवन के "अतीत से जुड़े एक-से अनुभव" भी उन्हें जोड़ने का काम करते है और शायद कुछ आदतें भी। 'लेखन' एक आदत के रूप में ऐसा ही ज़रिया बना तुमसे जुड़ने का। लिखने की आदत आपको गहरी कल्पना के क्षेत्र में उतरने का मौका देती है, जहां आप में एक प्रकार का ठहराव समय के साथ जन्म लेने लगता है, जिसके चलते आप में दूसरों को सुनने और उनकी स्थिति के अनुसार उन्हें समझने की क्षमता अधिक होती है और गुज़रते हुए समय के साथ ये क्षमता बढ़ती ही चली जाती है। शायद एक आदत यह भी समान थी, जिसने इस अनायास मुलाकात को एक रिश्ते में तब्दील किया।

सही है कि कुछ मुलाकातें बहुत ही अनायास होती है, हम उसके लिए कोई औपचारिक समय-सारणी निर्धारित नहीं करते। यह भी स्वाभाविक ही है कि जब इस तरह की मुलाकातें एक सीढ़ी पार कर और दो कदम आगे चल किसी रिश्ते का रूप धारण करने लगे, तो आप भी अपने इर्द-गिर्द मौजूदा भीड़ में से सिर्फ़ एक-दूसरे पर ही हक़ अदायगी के नियम लागू करने लगते है और उनसे बंधते और ख़ुद को बांधते चले जाते है। इस तरह की प्रक्रियाएं इतनी स्वाभाविक होती है और अपना काम इतनी ख़ामोशी से करती है कि कब अनजाने में ही आप एक-दूसरे के साथ 'एक प्रकार की स्पेस और विकल्प चुनने की आज़ादी' का आदान प्रदान कर चुके होते है कि आपको मालूम ही नहीं पड़ता।

जीवन से जुड़े अहम सवालों पर हर कोई सोचता नहीं है, खासतौर से ऐसे सवाल जिनके जवाब और उससे जुड़ी व्यवहारिकता के समय आप ख़ुद को कभी आगे नहीं रखते; बल्कि सामने वाले की स्थिति को प्राथमिकता देना आपके स्वाभाविक व्यवहार का हिस्सा होता है जिसे लोग आपके अभिनय का हिस्सा समझ बैठते है।

शुक्रिया दोस्त मेरी कहानी सुनने और अपनी सुनाने के लिए।

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11-05-2024

Rahul Khandelwal 

Saturday, May 4, 2024

क्या मानवीय स्वभाव के कुछ हिस्से इंसान को सुदृढ़ भी बनाते है? अनित्यता के सिद्धांत को कहां तक लागू किया जा सकता है?

बदलाव निरंतर घट रहे समय का एक अहम और ज़रूरी हिस्सा होता है। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी होती है जिसमें उससे संबंधित उसके कुछ हिस्से और किस्से शामिल होते है, जिनमें महत्वपूर्ण रूप से उस कहानी से जुड़े पात्रों का मानवीय व्यवहार अर्थात् स्वभाव अंतर्निहित होता है, जो उन पात्रों की बढ़ती उम्र और घटते समय के साथ, बजाए बदलने के दिन-प्रतिदिन और भी गहरा होता चला जाता है।

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21-02-2022
Rahul Khandelwal

Note: The picture is taken from internet.

Friday, May 3, 2024

Words of Experience and Human Behavior.

 


• Some people go through dark times; they know very well and understand the consequences of that period, as they’ve already faced all the difficulties while coming out of that phase. Although the phase is passed from their lives, it is better to say that the same appears to be passed superficially but not wholly. Scars fade, not erase completely, with time.

• Your behavior of not pointing out someone about what is right or wrong and not making someone aware of his or her wrongdoings and absorbing everything said in a very docile manner without posing your arguments in a way that sometimes provides space for the person (for others) to control you. Not showing dissent may put you under someone’s thumb.

Wise humans understand that not dissenting by anyone doesn't show one's acceptance, but the majority see this as an opportunity to have control over you.

• It is important for all to have a sense of realization, but the truth is that very few have such a sense. Having a timely sense of realization makes you a better human being, as it checks all your actions at every step. It can disturb you enough if you realize it very late, as then you’re left only with regrets.

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03-05-2024

Rahul Khandelwal

Impalpable

I wish I could write the history of the inner lives of humans’ conditions— hidden motivations and deep-seated intentions. Life appears outsi...