Saturday, August 10, 2024

वक्त का अंतराल गुज़र जाता है कुछ प्रश्नों के जवाब देने में, इतना कि कई बार जवाब देने वाले के पास इसका जवाब नहीं होता कि प्रश्नकर्ता तक जवाब पहुंचे भी है या नहीं।


बेफिक्र ज़रा हुए। फिर डाकिया हर दिन एक डाक के साथ आने लगा।

क्या जवाब दें इस परिवर्तन का?

कुछ पुराने खतों को जवाब के लिए इंतज़ार करना पड़ता है। आंखों से ओझल होना, मन की गहराइयों में परतों पर जमी स्मृतियों से ओझल होना नहीं होता।

"सुनो! उनसे कह देना जाकर कि कुछ परिवर्तनों के जवाब नहीं दिए जाते। अगर फिर भी जवाब चाहिए तो उनसे कहना कि ख्याल रहें कि खोज की पहली और आखिरी शर्त 'निरंतर किए गए परिवर्तन' ही होती है", पीछे मुड़कर उसने खाली हाथ वापस जाते हुए डाकिया से कहा।

उसे उम्मीद है कि आज डाकिया के हाथ खाली नहीं थे, आखिरकार उसने ख़त का जवाब दे ही दिया। क्या पहुंच पाएगा ये जवाब?

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10-08-2024

Rahul Khandelwal 

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